ABSTRACT:
यह अध्याय छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करने वाले पाँच विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों ( PVTGs) अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कमार और पहाड़ी कोरवा की शिक्षा प्रणाली की स्थिति और उससे जुड़ी जटिलताओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। यह अध्ययन इन समुदायों की पारंपरिक जीवनशैली, ऐतिहासिक उपेक्षा, वर्तमान शैक्षिक पहुँच, सरकारी प्रयासों तथा सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक बाधाओं को केंद्र में रखता है। प्रामाणिक आँकड़ों और क्षेत्रीय उदाहरणों के आधार पर अध्याय यह दर्शाता है कि भले ही राज्य सरकार ने एकलव्य मॉडल विद्यालय, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल, और डिजिटल शिक्षा योजनाओं जैसी पहलों के माध्यम से उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, फिर भी जमीनी स्तर पर इन जनजातीय समूहों की शिक्षा में असमानता, संसाधनों की कमी, मातृभाषा में शिक्षण की अनुपलब्धता और सामाजिक दूरी जैसी समस्याएँ मौजूद हैं। अध्याय में नीति सुझावों के माध्यम से यह स्थापित किया गया है कि मातृभाषा-आधारित शिक्षा, डिजिटल पहुँच, खेल और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को बढ़ावा, च्च्च् मॉडल द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना, तथा सामुदायिक सहभागिता जैसे उपाय इन समुदायों की शिक्षा को प्रभावी रूप से सुदृढ़ कर सकते हैं। यह अध्ययन इस दिशा में एक प्रामाणिक हस्तक्षेप है, जो शिक्षा के माध्यम से सामाजिक समावेशन, सशक्तिकरण और सतत विकास की दिशा में एक सार्थक कदम सिद्ध हो सकता है।
Cite this article:
प्रांजल कसेर. छत्तीसगढ़ के पांच विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में शिक्षा की स्थिति. जनजातीय भूगोल. 111-119.DOI: https://doi.org/10.52711/book.anv.tribalgeography-10
संदर्भ सूची
1. Sharma, S. (2017). "The Tribes of Chhattisgarh: Cultural Heritage and Identity" Journal of Tribal Studies, 9(3), 45-60.
2. Government of Chhattisgarh. (2020). “Annual Report on Tribal Welfare”, Raipur: Department of Tribal Welfare.
3. Singh, A. K. (2017), “Status of Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs) in India: Special Reference to the State of Chhattisgarh”, in Geo Analyst, December, 2017.
4. Vaishnav, T.K. (2008), “Chhattisgarh Ki Aadim Janjatiya”, Raipur: Chhattisgarh State Tribal Research Institute.
5. टेलर, राजेश एवं अन्य (2006): ‘‘भारत में अनुसूचित जनजाति के बच्चांे की प्राथमिक शिक्षा एक सांख्यिकी नोट’’ आदिवासी स्वास्थ्य पत्रिका, जबलपुर, अंक-12 संख्या-1 एवं 2,जन.-जुलाई, पृ.सं. 54-61।
6. यदुलाल, कुसुस (2003): ‘‘अनुसूचित जाति एवं जनजाति की स्कूली छात्राओं की मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षणिक समस्याएँ’’ परिप्रेक्ष्य, उज्जैन, वर्ष-17, अंक-2, अगस्त, पृ.सं. 63-88।