भारत के जनसंख्या वितरण में जनजातीय समुदाय एक उच्च सांस्कृतक विशिष्टता को सहेजे समुदाय है जो जंगल के कठिन परिवेश मे अपने परिवारिक ज्ञान के आधार पर जीविका निर्वाह कर रहे है। जनजातीय समुदाय अपने जीवन के प्रत्येक आयाम आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, स्वास्थय, शिक्षा इत्यादि में अपने पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते रहे हैं। जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विशेषताओं में उनके पर्यावरणीय भूगोल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है या दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जनजातीय संस्कृति की प्रकृति उनके पर्यावरणीय भूगोल का प्रतिफल होता है।
जनजातीय भूगोल पर आधारित यह संपादकीय पुस्तक जनजातीय समुदाय के जीवन के विभिन्न आयाम को शोध-पत्र, शोध आलेख, आलेख के आधार पर प्रकाश डालने का प्रयास है। प्रस्तुत संपादकीय पुस्तक में जनजातीय समुदाय के आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, स्वास्थय इत्यादि सभी आयाम को दर्शाने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत संपादकीय पुस्तक में जनजातीय समुदाय को वर्तमान परिपे्रक्ष्य में परिदृष्य को समझने प्रयास है। यह संपादकीय पुस्तक शोधार्थी, विद्यार्थी तथा जनजातीय समुदाय के इच्छुक पाठक के लिए जनजातीय समुदाय को समझने में सहायता प्राप्त होगी।