Book

जनजातीय भूगोल
Tribal Geography

Subject Area: Geography
Pages: 182
Published On: 15-May-2025
Online Since: 10-Oct-2025

 Read More >>

Author(s): डुमन लाल

Email(s): Dumansahu88@gmail.com

Address: डा. डुमन लाल
अतिथि व्याख्याता, शासकीय वि.वाय.टी. पी.जी. स्वशासी, महाविद्यालय दुर्ग (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Book, जनजातीय भूगोल

Year of Publication:  May, 2025

Online since:  October 10, 2025

DOI: 10.52711/book.anv.tribalgeography-11  

ABSTRACT:
ग्रामीण क्षेत्र में कालिक बाजार केन्द्रों की अर्थव्यवस्था में एक भूमिका है। बाजार केन्द्र के आकार का निर्धारण परिवहन, बाजार ग्राम में सेवा केन्द्रों की संख्या तथा सुविधाओं की आधार निर्भर करता कालिक बाजार केन्द्र में वस्तु व सेवा के आधार पर लघु अथवा वृहद् दोनों आकार का होता है। बाजार केन्द्रों की आकारिकी सभी बाजार ग्राम को अलग-अलग प्रतिरूप को दर्शाया जाता है। बेमेतरा जिला के कालिक बाजार में विक्रेता के दैनिक उपयोगी वस्तुएँ क्रेता की आवश्यकता के अनुसार बेचने हेतु लाते है। बाजार के आकार का प्रभाव भौतिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर होता है। कालिक बाजार केन्द्रों की आकारिकी प्रधान मुख्य सड़क मार्ग, मंदिर, तलाब के चारो ओर अधिवास के मध्य, या अधिवास के समीप मैदानों क्षेत्र में बाजार स्थित होता है। ग्रामीण कालिक बाजार केन्द्रों मेंविक्रेता एवं सेवा प्रदान करने वाले का पुरूषों की तुलना में महिलाओं का प्रतिशत अल्प है। बेमेतरा जिला के कालिक बाजार केन्द्रों में विक्रेता का शैक्षणिक स्तर सर्वाधिक माध्यमिक स्तर की 32.83 प्रतिशत सर्वाधिक है तथा न्यूनतम स्नातक स्तर पर 1.31 प्रतिशत है। बेमेतरा जिला में प्रति बाजार औसत किराया भुगतान 29.05 रूपयें है।बेमेतरा जिला के व्यापारी की प्रकृतिमें स्थानीय विक्रेता का 82.55 प्रतिशत तथा बाहरी 17.45 प्रतिशत है।कालिक बाजार केन्द्र में सर्वाधिक नीलामी (150000 रूपयें) सरदा बाजार है तथा इसके विपरीत न्यूनतम नीलामी (35000 रूपयें) पदुमसरा व अमलीडीह में है।बेमेतरा जिला में बाजार केन्द्र दिवस में गुरूवार का दिन बाजार की संख्या अधिक तथा शनिवार बाजार की संख्या कम है। बाजार दिवस के आधार पर बाजार केन्द्रो में बाजार चक्र में परिवर्तन होता है।


Cite this article:
डुमन लाल. बेमेतरा जिला में कालिक बाजारों का आकार एवं सेवा क्षेत्र Periodic Markets of Size and Service Area in Bemetara District. जनजातीय भूगोल. 120-130.DOI: https://doi.org/10.52711/book.anv.tribalgeography-11


संदर्भ सूची
1.    आजाद, चंद्रशेखर सिंह (1997) :अंतः नगरीय विपणन भूगोल, जबलपुर नगर का प्रतीक अध्ययन“ ए.एम.जी.आई. गोरखपुर।
2.    तिवारी, कैलाशनाथ (1988):“गाजीपुर जनपद (उत्तर प्रदेश) के विपणन केन्द्र एवं परिवहन मार्ग प्रारूप’’ उत्तर भारत भूगोल पत्रिका, अंक 24 संख्या 2, पृष्ठ 36-44.
3.    त्रिवेदी, रेणु (1997) :विपणन भूगोल, यूनिवरसिटी बुक हाऊस प्रा.लि. जयपुर।
4.    श्रीवास्तव, के.आर. (1993)    :’’आवर्ती बाजारों में महिलाओं की भागीदारी भारत-नेपाल सीमा के सुनौली बाजार का प्रतीक अध्ययन’’ उत्तर भारत भूगोल पत्रिका, अंक 29, संख्या 1-2, पृष्ठ 52-59.
5.    श्रीवास्तव, वी.के. एवं दीक्षित, आर. (1976) :     विपणन भूगोल, मध्य प्रदेश हिन्दी ग्र्रंथ अकादमी, भोपाल।
6.    श्रीवास्तव, हरिओम (1999): विपणन भूगोल, सरयूपार मैदान (उत्तर प्रदेश) का प्रतीक अध्ययन एसोसिऐशन आफ मार्केटिंग ज्याग्रफर्स आफ इण्डिया, गोरखपुर।
7.    Adalemo, I.A. (1975):“Traders Travel Patterns, Market Rings and Patterns of Market Shifts,” The Nigerian Geographical Jurnal, Vol.18,  pp. 17-26.
8.    Agawala, P.C. (1968):    “Weekly Market Size and Service Area, Bastar District,” M.P.,” The Geographical Journal, Vol.-43  (1-4), pp. 29- 33.
9.    Berry, B.J.L. (1967):Geography of Market Centres and Retail Distribution, Engleweed Cliffs, New Jersey
10.    Das, T.K. (1975): “Role of Market Centre in Rural Economy: A Case  Study in Memari, West Bengal,” The Journal of North-East India Geographical Society, Vol.-7,  (1-2), pp. 115-120.
11.    Dixit, R.S. (1984) :“Market Cycles,” Indian Journal of Marketing Geography, Vol.-2 (2),  pp.102-105.
12.    Shrivastava, V.K. (1987):Geography of Marketing and Rural Development, Inter-India Publications , New Delhi.
13.    Tiwari, R.C. and  Lal, M. (1986) :“Rural Markets in Rai-Bareli District,” Geographical Review  of India, Vol.-48 (3), pp. 29-37





Author/Editor Information

डॉ. शैलेन्द्र कुमार

सहायक प्राध्यापक, मानवविज्ञान अध्ययनशाला पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़

डॉ.टिके सिंह

सहायक प्राध्यापक भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)