ABSTRACT:
यह शोध पत्र MP की भील आदिवासी जनजातियों के पारंपरिक आवासों एवं उनकी जीवन-शैली का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है। आदिवासी घर केवल रहने के स्थान नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति, परंपरा और पर्यावरण के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध का प्रतीक होते हैं। अध्ययन में यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों जैसे लकड़ी, बाँस, मिट्टी और घास का उपयोग कर ये घर बनाए जाते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल और जलवायु-उपयुक्त होते हैं। इसके अतिरिक्त, आदिवासी समुदायों की आजीविका, पारंपरिक ज्ञान, सामाजिक संरचना, त्योहार, खानपान, एवं जीवन जीने के तरीकों को भी विस्तार से समझा गया है। यह शोध पारंपरिक आदिवासी जीवन पद्धति की स्थायित्वशीलता को रेखांकित करता है और उनके सांस्कृतिक संरक्षण की आवश्यकता पर बल देता है।
Cite this article:
ईआर ए. एस. निगवाल , एस. एम. मुजलदे. जनजातीय आवास एवं उनकी जीवन शैली झाबुआ जिला, मध्य प्रदेश के विशेष सन्दर्भ मे. जनजातीय भूगोल. 131-138DOI: https://doi.org/10.52711/book.anv.tribalgeography-12
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