Author(s):
उषा बघेल, शैलेन्द्र कुमार, अरविन्द अग्रवाल
Email(s):
baghelusha660@gmail.com
Address:
उषा बघेल1, डॉ शैलेन्द्र कुमार2, डॉ. अरविन्द अग्रवाल3
1एम.एस.सी, मानवविज्ञान मानवविज्ञान, पं रविशंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर, (छत्तीसगढ़)
2सहायक प्राध्यापक, मानवविज्ञान, पं. रविशंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर, (छत्तीसगढ़)
3सह प्राध्यापक, एम एम टी टी सी, पं. रविशंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर, (छत्तीसगढ़)
*Corresponding Author
Published In:
Book, जनजातीय भूगोल
Year of Publication:
May, 2025
Online since:
October 10, 2025
DOI:
10.52711/book.anv.tribalgeography-16
ABSTRACT:
जनजातीय संस्कृति उन संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करती जो उन विशिष्ट रीति-रिवाजों, परंपराओं , विश्वास प्रणालियों और सामजिक संरचना को संदर्भित करती है जो प्रकृति के निकट तथा जीवन निर्वाही सामान्य तथा सरल व्यवस्था को दर्शाती है। जनजातीय समुदाय के संदर्भ में वर्तमान एवं पूर्व परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिलता है। पूर्व में जनजातीय समुदाय जब प्रकृति के अधिक करीब हुआ करता था तब वह सरल समाज का प्रतिनिधित्व करते थे परंतु वर्तमान में विकास के विभिन्न प्रकार के आयाम के कारण अब जनजातीय समुदाय के जीवन के प्रत्येक स्तर में परिवर्तन प्रतीत होता है।
Cite this article:
उषा बघेल, शैलेन्द्र कुमार, अरविन्द अग्रवाल. जनजातीय समुदाय में सतत् विकास की अवधारणा. जनजातीय भूगोल. 174-177DOI: https://doi.org/10.52711/book.anv.tribalgeography-16
संदर्भ सूची
1. Kumar, S. 2016. Concept of Sustainable Development: A review. International Journal in Management & Social Science (IJMSS), 04:09.
2. Kujur, N., Kumar, S., 2017. Impact of Industrialization and Displacement on Tribal Groups (Special reference to various industries of Raigarh District (Chhattisgarh)). International Journal of Current Research. 9:7: