Author(s):
आरती सिंह, प्रियंकेश यादव
Email(s):
artisingh@allduniv.ac.in , singh.arti2011@gmail.com , priyankesh87@gmail.com
Address:
डॉ. आरती सिंह1, डॉ. प्रियंकेश यादव2
1सहायक प्राध्यापक, भूगोल विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
2पूर्व शोध छात्र, भूगोल विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
*Corresponding Author
Published In:
Book, जनजातीय भूगोल
Year of Publication:
May, 2025
Online since:
October 10, 2025
DOI:
10.52711/book.anv.tribalgeography-05
ABSTRACT:
खरवार जनजाति का कोई सुनिश्चित, सुगठित, लिखित इतिहास नहीं है। पौराणिक वृत्तान्तों में आए अस्पष्ट संदर्भ, विभिन्न स्थानों पर बिखरे हुए शिलालेखों, प्राचीन गढ़ों के लुप्त प्रायः अवशेष तथा उनकी जनश्रुतियों, मान्यताओं, प्रचलित परंपराओं, प्रथाओं, भाषा, संस्कृति के आधार पर क्रमबद्ध रूप से इनकी ऐतिहासिक कड़ी को समायोजित करने का अकादमिक प्रयत्न नहीं के बराबर हुआ है। इसी कड़ी के तहत उनके ऐतिहासिक जानकारियों को एकत्रित कर समायोजित करने का प्रयत्न किया गया है। खरवार जनजाति का एक समृद्ध इतिहास एवं संस्कृति रही है किंतु वर्तमान में इस जनजाति की सामाजिक-आर्थिक प्रस्थिति को समुन्नत करने की आवश्यकता है। खरवार जनजाति की वर्तमान समय में सामाजिक-आर्थिक प्रस्थिति बहुत दयनीय है। इसलिए इन पर विशेष रूप सरकारों एवं नीति निर्माताओं को विशेष कार्ययोजना के तहत विकास कराने एवं समाज की मुख्य धारा में इनकी संस्कृति को संरक्षित करते हुए जोड़ने की विशेष पहल की आवश्यकता है।
Cite this article:
आरती सिंह, प्रियंकेश यादव. खरवार जनजाति: एक संक्षिप्त अध्ययन. जनजातीय भूगोल. जनजातीय भूगोल. 53-67DOI: https://doi.org/10.52711/book.anv.tribalgeography-05
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